...✍🇮🇳 ⃢🅰️.s.k दीवारें केहती हे.में अपना दर्द सेह नहीं सकती मजबूर इतनी हूँ.की मजबूरी केह नहीं सकती एक ही छत के साए तले.दबी हूँ इसलिए खुले आसमा के निचे.में खड़ी रेह नहीं सकती ये बे बुनियाद तोहमते हे मुझपर ज़माने की.क्यों हवाएँ नदियों की तरहा.एक सफ में बेह नहीं सकती.....🖋 ©MD.Arshad लड़कियों की बे ज़ुबाँ आवाज़🤦♀️🧕🤰 RJ Kaynat451 #rekhta #rekhtashayari #rekhtafoundation #rekhtalovers #rekhtapoetry #rekhtapoets #Rekhtaurdu #ladkiyonKaDard