आज तक..... क्या अफसोस करू मैं उनपर, नियत जिनकी काली है। पर एक विश्वाश था कि हमारे रक्षक इनपर भारी है। आज एहसास हुआ है...... था विशवास का गुरुर जिसपर ,उनकी नियत ने भी लिपटी कालिख है। कैसे महफूज़ मैं पाऊँ खुदको ,जब मिलती रक्षक और राक्षस की ताली है। दहल गयी है धड़कन मेरी ,क्या मेरी किस्मत में भी लहकती रात काली है। बिटिया वापस मिल जायेगी क्या ,25 लाख वह राशी है। सस्पेंशन सजा नही होगी,मिलनी चाहिए सबको फाँसी है। #हाथरस घटना और मन मे विश्वाश का आभाव।