तमाल छंद "ग्रीष्म ताण्डव" दिखा रही है ग्रीष्म पूर्ण बल आज, ठहर गये हैं भू तल के सब काज। प्रखर उष्णता का कर कुटिल प्रसार, वसुधा को झुलसाती लू की धार।। तप्त तपन की ताप राशि दुस्वार, प्रलय स्वप्न को करती ज्यों साकार। अट्टहास में रुदन समेटे घोर, ग्रीष्म बहाये पिघला लावा जोर।। नहीं छुपाने का तन को है ठौर, घोर व्यथा का आया भू पर दौर। शुष्क हुये सब नदी सरोवर कूप, नर, पशु, पक्षी, तरु का बिगड़ा रूप।। दुष्कर अब तो सहना सलिल अभाव, रहा मौत दे अब यह भीषण दाव। झुलसाया जन जन को यह संताप, कब जायेगा छोड़ प्रलय की छाप।। ***. *** तमाल छंद एक सम पद मात्रिक छंद है, जिसमें प्रति चरण 19 मात्रा रहती हैं। दो-दो या चारों चरण समतुकांत होते हैं। इसका मात्रा विन्यास निम्न है- चौपाई + गुरु लघु (16+3 =19मात्रा) चरण के अंत में गुरु लघु अर्थात (21) होना अनिवार्य है। बासुदेव अग्रवाल 'नमन' तिनसुकिया ©Basudeo Agarwal #नमन_छंद