पड़ी धूप तो पिघल गया हूँ, बना बर्फ़ अब पानी सा हूँ, गिरे शाख़ और शजरे कितने, मग़र देख मैं अब भी हरा हूँ। पड़ी धूप #हिंदी #yqhindi #yqdidi #yqkavita