एक लड़की थी दीवानी सी । 2 - 3 लड़के पे वो मरती थीं । कहती थी सबको, प्यार तो तुम्ही करती हो, बस इजहार नहीं कर सकती । बिल स्प्लिट करती हू, पर पुर्से तो लाए नहीं। घर जाकर, पेटीएम करती हू। कुछ नहीं खाना बोलकर, प्लेट पूरा चटक जाती थी। तुम पतले हो जा, बोल बोल कर हो रही हथिनी। बोल थी सबको, प्यार में धोखा एक बार इस जालिम दुनिया में। पर उपहार आते जब, एतराठी मानो कहीं रानी हुए यो। कुछ जेवार ठे काफी, उसके ईमान खातिर। बिक गए इस जालिम दुनिया में। एक लड़की थी दीवानी सी । 2 - 3 लड़के पे वो मरती थीं । कहती थी सबको, प्यार तो तुम्ही करती हो, बस इजहार नहीं कर सकती । एक लड़की थी दीवानी सी । 2 - 3 लड़के पे वो मरती थीं । कहती थी सबको, प्यार तो तुम्ही करती हो, बस बोल इजहार नहीं कर सकती । बिल स्प्लिट करती हू, पर पुर्से तो लाए नहीं। घर जाकर, पेटीएम करती हू। कुछ नहीं खाना बोलकर, प्लेट पूरा चटक जाती थी।