किसी रोज़ छॉंव की तलाश में किसी रोज छांव की तलाश में.. भटक रहे हैं गांव की तलाश में.. इक शज़र जो तन्हा रह गया है, खड़ा है अपने पांव की तलाश में.. सभी थे मोहरे इस खेल के यहां, सरकार के चुनाव की तलाश में.. फिर रहे हैं दर बदर कबसे सभी, अच्छे से सुझाव की तलाश में.. बह गया है बाढ़ का पानी भी, लबालब भराव की तलाश में.. हम तो बस चलते रहे 'अद्भुत' यहां, सुकून के ठहराव की तलाश में.. © चीनू शर्मा 'अद्भुत' #adbhut_alfaz #nojoto #shayari #gazal किसी रोज छांव की तलाश में.. भटक रहे हैं गांव की तलाश में.. इक शज़र जो तन्हा रह गया है, खड़ा है अपने पांव की तलाश में.. सभी थे मोहरे इस खेल के यहां,