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टूट भी जाऊँगी तो क्या, मेरे जर्रे जर्रे से , खुबसु

टूट भी जाऊँगी तो क्या,
मेरे जर्रे जर्रे से ,
खुबसुरत नज़्में रिसते देखोगे।

सुमित्रा अग्रवाल "अपराजिता" #नज़्म
टूट भी जाऊँगी तो क्या,
मेरे जर्रे जर्रे से ,
खुबसुरत नज़्में रिसते देखोगे।

सुमित्रा अग्रवाल "अपराजिता" #नज़्म