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मैं ता उमर तुझे पुकारता चला गया नक़ाब रुख से फिर उत

मैं ता उमर तुझे पुकारता चला गया
नक़ाब रुख से फिर उतारता चला गया
चला गया था मौसमे बहार पर मगर
वो दश्त बस उसे निहारता चला गया
वो चंद पल गुज़ार कर बिछड़ गया जिधर
मैं ज़िन्दगी उधर गुज़ारता चला गया

©सानू
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