ज़िन्दगी का मेरे सट्टा लग गया, मेरे यारों में, मेरा ही बट्टा लग गया। अब बात नहीं करते, मुझसे,मेरे दोस्त लोग मेरा दाम इतना सस्ता लग गया। -------जिन्दगी का मेरे------- ------------------------------------ न कमी थी हसीनाओं की, न उनकी अदाओं की। कमी थी तो दुश्मनों की, दोस्ती के बेवाफओं की। पूरी कर दी कमी, मेरे अपने ही यारों ने शामिल नहीं होते अब, किसी भी त्योहारों में। -आशीष द्विवेदी ©Bazirao Ashish #जागते रहो