जिंदगानी पीर भरी लहराती झुर्रियाँ शेष भाग नोच रही खिसियाई बिल्लियाँ..! बैठने न दिया कभी नाकों पर मक्खियाँ आँत नहीं दाँत नहीं भरभराई हड्डियाँ..! पात पात जोड़ लिया काट पेट अतड़ियाँ स्वादहीन ही लगती मर कट कर मछलियाँ..! ताउम्र जोड़ता रहा तेरी मौज मस्तियाँ बाकी अभी जोड़ रहा साँसों की गिनतियाँ..! ©®शुभेन्द्र जायसवाल #शुभाक्षरी #अवस्था #वृद्ध