हार जा सब, ज़मीर ज़िंदा रख। अपने अंदर गरीब ज़िंदा रख।। वक्त को परखने दे हिम्मत, पर। मेहनत की लकीर ज़िंदा रख।। वाह निकले ग़ज़ल तेरी पढ़कर। शायरी में यूँ मीर ज़िंदा रख।। दूर हैं जो, करीब भी होंगे। फ़ासलों में यकीन ज़िंदा रख।। बंदिशें हों हजार राहों में। हौंसलों से नसीब ज़िंदा रख।। © जीवन बिलासपुरी (हि० प्र०) #footsteps #ज़िंदारख #ज़मीर #जीवनबिलासपुरी