जिस तरह फ़ूलों को मुस्कुराहट ढूंढ़ लेती है। मुझको तेरी यादों की आहट ढूंढ़ लेती है। जब घेरती हैं नज़रों को तस्वीरें यार की- मुझको मयक़शी की सुगबुगाहट ढूंढ़ लेती है। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय