अंदाज़ ये सफर का यूं ही चलता रहेगा, रोज़ निकलेगा सूरज रोज़ ढलता रहेगा, जीवन के रास्तों पे तन्हा चलेगा "वैभव", खुद गिरता रहेगा खुद सम्भलता रहेगा ( पवन वैभव दुबे ) वैभव की कलम से