मुश्किलों से कह दो अभी मैं ठहरी नही हु बढ़ रही हु निरंतर अपनी मंजिल की ओर माना है लाख मुश्किलें सफर ऐ राहे में मेरी मगर फिर भी में हारी नही हू भले लाख रोड़े भी आये राहों में मेरी मजबूत हो गए है अब इरादे मेरे मुश्किलों से कह दो अभी मैं ठहरी नही हु। लाख धोखे ही सही लाख चोटें ही सही लाख झूठे वायदे ही सही अपनों के बीच मे रंगे सियार भी सही ना झुकी हु ना रुकी हु ना टूटी हु अभी मंजिल को पाए बिना ना ठहरूंगी कभी।। ©SUPRIYA S DEEKSHIT #मंजिलों_से_कह_दो #बस #पहुँचने #मेरे_अल्फाज #मेरे_शब्द #मेरी_कलम_से✍️ #lost