समुंदर की लहरे कितनी ही ऊंची उठे वापस उन्हें सतह पर ही आना पड़ता हकीकत के पन्ने यही कहते ज्यादा न उड़ो झूठी शान के पंखों पर टूट ने से सतह को ही ढूंढना पड़ता सतह न मिली तो अंजाम को ही भोगना पड़ता ✍️कमल भंसाली झूठी शान