खड़्यो न दिखे पारथी लग्यो न दिखे बाण, म्हैं तौं से पुछू हे सखी, ये किण बात तज्या प्राण। जळ थोड़ो नेहो घणो लग्यो प्रीत को बाण, तू पी तू पी करतांई दोनों तज्या प्राण।।