-: युद्ध :- अंग से मृदंग का, तंत्र से तरंग का थक्क की ये थाप है, विश्व विजय का ये प्रलाप है, चला शस्त्र युद्ध में,गाया गया प्रलय का गान है सुन रही हैं रूहें कहीं,किया जो गिद्दों ने हर्ष गान है / बिलख रहे ह्रदय,शांत अब आँचल में छुपी जान है