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मेरे गिलास में ज़िन्दगी कुछ बूंद बांकी है, हां अभी

मेरे गिलास में ज़िन्दगी कुछ बूंद बांकी है,
हां अभी जिंदा हूँ अभी मौत बांकी है,
लिहाफ़ तकिए का बख़ूबी जानता है मुहब्बत मेरी,
अभी चादर का टपकना बांकी है,
मेरी मर्जी से मेरी उम्र चार सांसे काफी थीं,
पर जुर्माने में पूरी उम्र गुजारना बांकी है।
JD
मेरे गिलास में ज़िन्दगी कुछ बूंद बांकी है,
हां अभी जिंदा हूँ अभी मौत बांकी है,
लिहाफ़ तकिए का बख़ूबी जानता है मुहब्बत मेरी,
अभी चादर का टपकना बांकी है,
मेरी मर्जी से मेरी उम्र चार सांसे काफी थीं,
पर जुर्माने में पूरी उम्र गुजारना बांकी है।
JD