क्या जीने के लिए ,ज़िन्दगी को दुख देना मुनासिब था ? आज फिर वही सवाल ,आंखो के सामने हाजिर था, ना सुनने की हिम्मत ,ना जवाब देने की ताकत , दिल ने अंदर से कहना चाहा, तो जेहन ने मौका ना दिया , आज फिर वही सवाल ,आंखों के सामने हाजिर था , क्या आंखो पे पट्टी बांधना मुनासिब था ? आज फिर वही सवाल , आंखो के सामने हाजिर था।। ©jnaths #nojoto #Hind #nojotolove