कभी कोशिश ही नहीं की बचपन की यादों को मिटाने की। यादें जहन में ताज़ा हैं उसे मिटाने की ज़रूरत महसूस नहीं की। बचपन की अटखेलियाँ साथी संग सहेलियाँ सारे दिल में बसते हैं। उनको याद करके अपने जज़्बात को कलमबद्ध करते हैं। कभी बारिश में भीगते हुए काग़ज़ की नाव पानी में तैराना। तो कभी बना कर काग़ज़ पुलिंदा से चरखी हवाई जहाज़ उड़ना। और भी कितनी यादें बचपन की दिल में बसीं हैं। आज भी लबों पर मुस्कान और जीने की वजह होतीं हैं। अक्सर जब भी हम लंगोटिया यार मिलते हैं। बैठ वक्त निकाल कर बचपन की यादों में खो जाते हैं। ♥️ Challenge-790 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।