चराचर में सृष्टि के जो इक रमा है शिवा है शिवा है वो हां शिवा है नहीं उससे कण कोई रिक्त ज़रा भी विभु शिव शम्भु हैं सब में व्यापी नेत्रों से जो अपने सब देखता है शिवा है शिवा है वो हां शिवा है किया था मदन को जिसने नियंत्रण दे न सके जिसको मृत्यु निमंत्रण वशीभूत जिसके सभी कामना है शिवा है शिवा है वो हां शिवा है आया था जग पे जब त्रास भारी बने नीलकंठ तब ही त्रिपुरारी पीकर के विष जो देता सुधा है शिवा है शिवा है वो हां शिवा है शस्त्रों के दाता अनेकों के नेता शिव हैं सभी विद्या के प्रणेता राम और अर्जुन जिससे महा है शिवा है शिवा है वो हां शिवा है अंतर में जिसके सभी हैं रसायन अनुचर हैं जिसके वादन गायन की जिसने नृत्य में भी साधना है शिवा है शिवा है वो हां शिवा है चराचर में सृष्टि के जो इक रमा है शिवा है शिवा है वो हां शिवा है ©Vishal Sharma #happpymahashivratri #Shiva