ऐ ज़िन्दगी **** ***** आज फिर हिम्मत करता हूँ , तेरे संग चलने को खुद को विवश करता हूँ । तेरे पथरीले राहों से , तेरे ठोकरों से , आज फिर गिरकर सम्भलने का हुनर सीखता हूँ । तेरे दिए ये घाव लाख अड़गे लगा रहे हैं , मुझे मौन कर स्वयं विलाप कर रहे हैं , तेरे इन घावों को वक़्त का मरहम लगाता हूँ। बहुत मायुश है मन , चलो आज खुद से ज़िन्दगी को , हँसकर जीने की शर्त लगाता हूँ।। ओमा राम चौधरी ✍️ 🌹🌹🌹🌹🌹 #ऐ_जिंदगी #Nature