माथे को चूम लूं और तेरी रूह में उतर जाऊं.. तेरी नज़रों से श्रृंगार करूं और यूँही संवर जाऊं ! तेरे सुकून का जरिया ,भोर की चाय बन जाऊं .. मीठी सी गुड़ जैसी तेरी रूह में पिघल जाऊं... ! तेरी परछाई नहीं, मैं पहचान कहलाऊं .... माथे को चूम लूं और तेरी रूह में उतर जाऊं...! तू कुम्हार मैं मिट्टी सी, हर रूप में ढल जाऊं ..... सावन की रिमझिम बूंदों सी, तेरी अधरों को छू जाऊं ....! तेरी नज्मो में मैं लफ़्ज़ों सी पिरोई जाऊं .... पन्नों पर उतरूं जब,सबकी रूह को छू जाऊं ...! अपनी हार में भी तेरी जीत का जश्न मनाऊं.… तेरी ख़्वाबों की गलियों में चांदनी सी बिखर जाऊं ...! तेरी मीठी सी यादों में शक्कर सी घुल जाऊं ... सामने आईने के तू हो पर अक़्स में मै उतार जाऊं ....! तू सूर्य सा चमके , मै शीतल छांव बन जाऊं.... संध्या बन हर सांझ, तेरे संग ढल जाऊं ....! तेरी परछाई नहीं, मैं पहचान कहलाऊं .... माथे को चूम लूं और तेरी रूह में उतर जाऊं...!!-A.r #रूह_ए_मोहब्बत़ #लवयूज़िन्दगी #piccredittome #ydbaba #yqquotes #yqinspiration