जो मिला वो फ़रिश्ता मुझको अजीब दास्ताँ हैं कि खुदा का भेजा बरसों से कोई वो पासबाँ हैं वो बिछड़ गया था रस्मों-ओ-रिवाज़ की वजह से जो है आया अब तो हर राज़ का मेरे राज़दाँ हैं है लगी ये आग बरसों से,हुए है जिस्म-जाँ इक कि नसों में,रूह ज़र्रों में मेरे,वो दरमियाँ हैं है मेरे वो अक्स में कायम,है लहू में भी घुला मिला है मिला मेरे वो साए में,मेरा वो ही निशाँ हैं कि हुई है जीस्त उसकी ही ये जानती है 'नेहा' कि ये दिल ये रूह सब उसका ,वो मेरा जहाँ हैं। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1091 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।