उड़ गई है ख़बर ऐसी हमारे गांव में आके बैठा हूँ तिरे इश्क़ की मैं छांव में एक चेहरा तिरा जिसके है लोग दीवाने इनको दिखते नही कांटे हमारे पांव में लोग कहते है बड़ा दर्द बर्द लिखता है कौन बोले कि फंसा हूँ मैं तेरी नाव में तुमसे ये पैर वैर क्या नही चुमवाते है ? आ भी जाओ किसी तो रोज़ मेरी बाहों में - Navdeep Panchal Shubh #MumbaiLove