माना अनेको राग है यंत्र तंत्र अगाध है, पर मौन को, जो नाप सके क्या ऐसा कोई विधान है । भावों से सराबोर जो अनुभूतियों का जाल है, व्याल है यह मौन का, जो हृदय पर प्रगाढ़ है । धीमे से अवतरित होता, मौन में सब शून्य होता, नैनों से नित रिसता रहता, भावों का जलधाम है...!! मौन को, जो माप सके क्या ऐसा कोई विधान है...?? अक्सर जब मन शून्य होता है तो, शब्द स्वतः ही विलीन हो जाते है....सब मौन करके, और मेरे लिए यह बड़ी ही विकट समस्या हो जाती है, परिवार में स्त्री का मौन होना गलत नजरिये से देखा जाता है, जबकि मौन मुझे स्थिरता प्रदान करता है । #yqdidi #मौन_अभिव्यक्ति #शून्य #हिंदीकोट्स #विष्णुप्रिया