जश्न(ग़ज़ल) वीरान सी थी मेरे दिल की बगिया तुमसे मिलकर महकने लगी, खामोश ही रहती थी मेरी जिंदगी तुमसे मिलकर चहकने लगी, पांँव पड़ते नहीं अब मेरे जमीन पर बिना पंँखों के ही उड़ने लगे हैं, जब से तुम मिले हो मुझको मेरे ख्वाबों को ताबीर मिलने लगी है। दिशा विहीन थी मेरी जिंदगी तेरा साथ पाकर दिशा मिल गई है, जिंदगी हर पल तेरे साथ प्यार के नए-नए ख्वाब सजाने लगी है। मेरी जिंदगी के गमों को खुशियों में बदल कर प्यार से भर दिया है, तेरा प्यार पाकर मेरी जिंदगी जन्नत से भी खूबसूरत लगने लगी है। तेरे साथ "एक सोच" को जीवन की हर एक खुशी मिलने लगी है, तेरे प्यार का हम यूँ ही जश्न मनाते रहें दुआ दिल से निकलने लगी है। #जश्न(ग़ज़ल) #क़लम_ए_हयात #collabwithक़लम_ए_हयात #जन्मदिन_Qeh