सूख चुकि हैं आंखें अब ये नम नहीं होती। सच है किसी के चले जाने से ज़िन्दगी ख़त्म नहीं होती। अब तो धूधला सा नज़र आता है हर एक शख़्स का चेहरा। बस एक उन्हीं की यादें जाने क्यों कम नहीं होती। पता होता तो गिरने के पहले ही सभंल जाते। शायद फिर ज़िन्दगी इतनी बेरहम नहीं होती। --दिलीप-- #बेरहम_ज़िंदगी