गरीब फरियादी मप्र सहायक प्राध्यापक भर्ती घोटाले को लेकर माननीय न्यायालय की शरण में गए,व्यापक विसंगतियां पाकर माननीय न्यायालय ने सूची निरस्त की। अफसरशाही ने लीपापोती करके फिर अवैधानिक सूची जारी कर दी।अब फिर न्यायालय ने गलती पाकर स्टे ऑर्डर किया। क्या प्रजा हितैषी सरकार का दायित्व नही है कि घोटालेबाजों का बचाव करने की बजाय लोकहित में भर्ती प्रक्रिया को निरस्त करे? क्या न्याय करने का दायित्व केवल न्यायालय का है? क्या प्रजातंत्र में चुनी हुई सरकार को स्वयं न्यायोचित निर्णय नही लेने चाहिए?😢 #Judge