संगीत- एक नीरव स्वर °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° पैर हमारे खुदबखुद थिरकने लगते हैं, संगीत के सुर जब कानों में खनकते हैं। 🎶🎶🎶🎶🎶🎶 प्रकृति की खामोशी में भी जो शांत सुर बिखरते हैं, 'एक नीरव स्वर' की भाँति वो मन को तृप्त करते हैं। 🎶🎶🎶🎶🎶🎶 शिशु के कानों में माँ की लोरी के स्वर जब पड़ते हैं, उसके मन में भी संगीत के प्रति भाव उमड़ते हैं। 🎶🎶🎶🎶🎶🎶 नदी की अविरल जलधारा में और रात के सन्नाटे में, पक्षियों की चहचहाहट में कईं राग नए पनपते हैं। 🎶🎶🎶🎶🎶🎶 विलाप में... मिलाप में और सभी क्रियाकलाप में, पत्तों की सरसराहट में झंकार बनकर निखरते हैं। 🎶🎶🎶🎶🎶🎶 जुदाई में, तन्हाई में और पवित्र प्रेम की गहराई में, नयनों से मोती बन कर प्रिय की पुकार जो बनते हैं। 🎶🎶🎶🎶🎶🎶 ऋतुओं की छटा निराली में खुशहाली प्रकट करते हैं, हरियाली के सुर मन के उपवन को झंकृत करते हैं। संगीत- एक नीरव स्वर °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° पैर हमारे खुदबखुद थिरकने लगते हैं, संगीत के सुर जब कानों में खनकते हैं। 🎶🎶🎶🎶🎶🎶 प्रकृति की खामोशी में भी जो शांत सुर बिखरते हैं, 'एक नीरव स्वर' की भाँति वो मन को तृप्त करते हैं। 🎶🎶🎶🎶🎶🎶