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कभी बैठो एक रोज मेरे पास भी... मुझे एक शाम तुम्हार

कभी बैठो एक रोज मेरे पास भी...
मुझे एक शाम तुम्हारी जुल्फों के साए मे बितानी है।।
लोगों को चाहत होगी जिस्मों की...
मुझे तो तुम्हारी आंखों मे डूबकर अपनी ज़िंदगी बितानी हैं।।
आ जाना एक रोज वक्त निकाल कर...
कुछ सुन्नी है मुझे तुम्हारी और कुछ मुझे अपनी सुनानी हैं।।

©gumnaam_writer011 #एक_शाम
कभी बैठो एक रोज मेरे पास भी...
मुझे एक शाम तुम्हारी जुल्फों के साए मे बितानी है।।
लोगों को चाहत होगी जिस्मों की...
मुझे तो तुम्हारी आंखों मे डूबकर अपनी ज़िंदगी बितानी हैं।।
आ जाना एक रोज वक्त निकाल कर...
कुछ सुन्नी है मुझे तुम्हारी और कुछ मुझे अपनी सुनानी हैं।।

©gumnaam_writer011 #एक_शाम