Nojoto: Largest Storytelling Platform

मैं एक गांव जैसा हूँ.....लोग छोड़कर शहर जाते है औऱ

मैं एक गांव जैसा हूँ.....लोग छोड़कर शहर जाते है औऱ कई बरस बाद लौटते है, पहले ही कि तरह जुड़ने की कोशिश करते है लेकिन जुड़ नही पाते और कुछ ही दिन में फिर शहर का रुख़ कर लेते है....शहर में वो याद बहुत करते हैं
पर कभी मुझे आबाद नही करते।
आते हैं छुट्टी मनाने पर मुझको मनाना भूल जाते हैं।
एक वक्त ऐसा आता है जब बारीक सी बची डोर भी टूट जाती है और आंखों की पुतलियों में यादों की बस एक धुँधली तस्वीर रह जाती है।
क्योंकि गाँव मे अब बस नाम गाँव वाला है 
बस नाम।

©SamadYusufzai #simplysamad #Nojoto #Life #Love #FathersDay 

#Trees
मैं एक गांव जैसा हूँ.....लोग छोड़कर शहर जाते है औऱ कई बरस बाद लौटते है, पहले ही कि तरह जुड़ने की कोशिश करते है लेकिन जुड़ नही पाते और कुछ ही दिन में फिर शहर का रुख़ कर लेते है....शहर में वो याद बहुत करते हैं
पर कभी मुझे आबाद नही करते।
आते हैं छुट्टी मनाने पर मुझको मनाना भूल जाते हैं।
एक वक्त ऐसा आता है जब बारीक सी बची डोर भी टूट जाती है और आंखों की पुतलियों में यादों की बस एक धुँधली तस्वीर रह जाती है।
क्योंकि गाँव मे अब बस नाम गाँव वाला है 
बस नाम।

©SamadYusufzai #simplysamad #Nojoto #Life #Love #FathersDay 

#Trees