रोमांचित सब हो रहे थे, अवसर पहला जो था। एक ओर दूर दूर तक सिर्फ, पानी ही पानी जो था। कई तैयार हो रहे थे, वह पानी नमकीन जो था। कई उत्साहित हो रहे थे, नजारा खूबसूरत जो था। कई भयभीत हो रहे थे, इलाका डरावना जो था। अचानक मौसम ने करवट बदली, आकाश के नीलेपन को श्याम मेघों ने ढक लिया, अब होगी, तब होगी, घनघोर अंधेरा, मूसलाधार बारिश ऐसा प्रतीत होने लगा। भयभीत और भी भयभीत हो गए, रोमांचित - उत्साहित ढीले-ढाले पड़ गए। कुछ वक्त बीता, बादल छँट गए। साहिल पर खड़े होकर, टहल कर, सबने मधुर पलों को जीया। ३०३/३६६ साहिल पे खड़े होकर... #साहिल #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #निबंध yreeta-lakra-9mba