कुछ नही ठहरा यहाँ सब चलता चला गया। ज़िंदगी रेत की भाँती फिसलता चला गया। दिन, महीना,साल सब निकलता चला गया। बचपन,जवानी,बुढ़ापा सब ढलता चला गया। हित,नाता,रिशता सब सिमटता चला गया। गांव,कस्बा,शहर सब बदलता चला गया। खेल,खिलौना,कूचा सब खलता चला गया। दिल,नैन,रैन,चैन सब जलता चला गया। वादा,इकरार,विश्वाश सब टलता चला गया। आह,पीड़ा,जज़्बात सब मचलता चला गया। प्यार,स्नेह,अपनापन सब भुलता चला गया। चेहरा,नकाब,मुखौटा सब खुलता चला गया। रूप,किरदार,काया सब बलता चला गया। व़क्त, लम्हा,दौर सब पिघलता चला गया। कुछ नही ठहरा यहाँ सब चलता चला गया। ज़िंदगी रेत की भाँती फिसलता चला गया। #nojoto#life#fol