करम है गर तेरे मुक़द्दस तो किस्मत की रेखा बदलेगी शिद्दत-ए-तिश्नगी ग़र है तो क़ज़ा बंद मुट्ठी में बदलेगी हिसाब किताब करमों का यहीं पूरा करना है सब को निहाँ है जो भी ग़म ज़ीस्त में तेरी, वो खुशियों में बदलेंगी मुक़द्दस- पवित्र क़ज़ा- भाग्य निहाँ- hidden 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖