कोई मुझसे मिलने से कतरा रहा है ज़माने का डर है या शरमा रहा है मेरे लफ़्ज़ सारे हवा हो रहे हैं वो शायद मेरे ख़त को सुलगा रहा है मैं पत्थर को छू लूँ तो इंसान कर दूँ मगर राम बनने में घाटा रहा है बहल जाता है झूठे वादों से अक्सर मेरा दिल हमेशा ही बच्चा रहा है वजह डूबने की तुम्हे क्या बताऊँ कोई बोझ पत्थर सा चिपका रहा है मिरे ज़ख़्म सारे हरे हो रहे हैं मुझे मेरे माज़ी का ग़म खा रहा है अभी दाँत ज़हरीले निकले नहीं और सपोला परिंदों को धमका रहा है पुरानी ग़ज़ल का मतला और एक शेर के साथ कुछ नए शेर जोड़े है #yqdidi #bestyqhindiquotes #राम #बच्चा #लव #विशालवैद #vishalvaid