कब तक उलझे रहोगे खुद के ही सवालों में क्यूं हुआ ये और मेरे साथ ही क्यूं लोग नहीं समझ पाते हैं मुझे, क्या मैं इतना बुरा हूं छोड़ो जाने दो, शायद भाग्य में यही लिखा है यही नियती है जो हो रहा है स्वीकार कर लेते हैं किस्मत का लिखा आगे बढ़ते हैं जो हुआ भूलकर भुला कर इस उम्मीद के साथ की शायद सब ठीक हो जाए एक वक्त के बाद शायद ये आंधी थम जाएं शायद ये हृदय में उठती लहरे शांत हो जाए शायद भाग्य करवट ले और आने वाला कल बेहतर हो जाए धीरे धीरे हालात संभले और शायद सब ठीक हो जाए एक वक्त के बाद ©Nikhil Kumar #khud_se_baat #yun_hi #feelings #SAD