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कभी तेज धूप, कभी बारिश का बाज़ार लगती है, ये ज़िं

कभी तेज धूप, कभी बारिश का बाज़ार लगती है,
ये  ज़िंदगी  अपनी होकर भी हमें उधार लगती है|

कहीं  फैलाता  है कोई चैन - ओ - अमन  वतन में,
कही  ज़िंदगी  बस  आतंक  का व्यापार लगती है|

है  किसी  के पास बेशुमार धन-दौलत और रूतबा,
कहीं  कोई  ज़िंदगी मुफ़लिसी में लाचार लगती है|

मोहब्बत  की  जरूरत  है  फ़िज़ाओ  को  'कुमार',
पर  जिंदगी  मुझे  नफ़रतों  में गिरफ़्तार लगती है|
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#kumaarsthought #kumaar2020 #kumaar2020_64_366 #kumaaronzindagi #बाजार #गिरफ्तार #लाचार
कभी तेज धूप, कभी बारिश का बाज़ार लगती है,
ये  ज़िंदगी  अपनी होकर भी हमें उधार लगती है|

कहीं  फैलाता  है कोई चैन - ओ - अमन  वतन में,
कही  ज़िंदगी  बस  आतंक  का व्यापार लगती है|

है  किसी  के पास बेशुमार धन-दौलत और रूतबा,
कहीं  कोई  ज़िंदगी मुफ़लिसी में लाचार लगती है|

मोहब्बत  की  जरूरत  है  फ़िज़ाओ  को  'कुमार',
पर  जिंदगी  मुझे  नफ़रतों  में गिरफ़्तार लगती है|
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