“वक्त का पहिया” सपनों के पीछे भागते भागते इतना दूर आ गए कि स्वयं की पहचान ही भूल गए वक्त की क़ीमत समझते समझते ज़िन्दगी में ख़ुद और सारे रिश्तों को भूल गए अनुशीर्षक में;//👇👇 ज़िन्दगी ने ठहरने का कभी मौका ही नहीं दिया कभी चलते रहे अकेले वक्त ने भी साथ ना दिया बड़े होते ज़िम्मेदारियों तले दब गए बड़ी कामयाबी, बड़ी खुशी के परवाह में तमाम खुशियों छोटी छोटी खुशियों को हम भूल गए ज़िन्दगी की ख़्वाहिश प्यार और खुश होकर रहना दूसरों की ख़्वाहिशें पूरा करते करते अपनी ही ख़्वाहिशों को हम भूल गए