//प्रकृति// बैठा था एक बार आंगन में लिखने कुछ नई बात, फिर देखा उन बदलो और पेड़ों को जिनमें थी कुछ खास बात फिर कल्पना की मैंने की नहीं होते अगर ये धरती के रेन बसेरे, नहीं होते अगर ये बादल जैसे आकार गहरे, नहीं होती अगर ये पेड़ो की ठंडी छाया, तो कैसे पलट जाती हमारी काया, सोच भी सकते थे क्या हम इस जीवन के बारे में, फिर याद आया कि अच्छा हुआ कि वो सिर्फ कल्पना थी , फिर नहीं देखना चाहता में वो बंजर जमीन का काला साया #saveenviourment#savetree#saveNature#poemwriting#poetry