ख्वाबों की बस्ती उजड़ने लगी के सन्नाटे अब घरों में बसने लगी हम गरीबों की जिंदगी बदलने लगी पहले से ज्यादा बदहाली छानें लगी हालत ये है कि बची - कुची जमा- पूंजी, भी बटुए से निकलने लगी बाहर अब कैसे ना जाये बच्चों के चहरे पर मायूसी अब छाने लगी बाहर वबा कोहराम मचाने लगी अंदर पेट की आग तड़पाने लगी सरकारी दावे खोखले नजर आने लगी Queen"मुफ़लिसी,अब रूलाने लगी !!! ♥️ Challenge-571 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।