इन खामोशियों विरानियों से अक्सर बात होती है जब होते हैं अकेले में खुद मुलाक़ात बात होती है कौन तुम्हरा अपना है कौन पराया है जानते हो क्या अच्छा वो जो बीच राह में तुम्हे छोड़ गए थे अब भी उन्हें अपना मानते हो क्या वो लोग तुम्हे दर्द देते हैं हिसाब उनका रखते नहीं हो क्या रिश्ते निभाते निभाते कितना रोए हो तुम बहुत जख्म मिले यार फिर भी तुम थकते नहीं हो क्या कभी अपने लिए भी जिन्दगी जिया करो सबको खुश रखने की ज़िद छोड़ दो ना इन बिखरे रिश्तों को कब तक समेटोगे तोड़ दो ना me 👉सुनो अपनों की खुशी में ही मेरी खुशी है इन्हें छोड़कर कहां जाऊंगा ये रिश्ते नाम के ही सही मगर अपने हैं इन्हें तोड़कर क्या पाऊंगा। #khud_se_baat #alone