मचा कैसा कोहराम दुनिया में हर ओर, हैरान परेशान आज हर एक है इन्सान। हो एक दूजे से दूर अपनी साख बचाने, जनता रोती बिलखती आज दर-बदर, नेता-गन रैली कर अपनी शान बघारते। ज़हरीली हो चली आबो-हवा हर ओर, बंध विवशता की बेड़ी में हर एक इंसान। सुनसान विरान पड़ गयें बस्तीयां सारी, श्मशानों में सुनाई पड़ रही लोगों के चित्कार।। 🌝प्रतियोगिता- 206🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"क़ोहराम"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I