कोई रूठा है इस कदर आखरी सांस हो जैसे भीगे पलको पर बरसात हो जैसे दर्द फिर हरा हो गया जैसे तनहाई का फिर दौर हो मैं तो था उसका मगर पर फिर भी उसके लिये मेरा प्यार अब भी गैर हो... मिटा दूँ ये दुरियाँ मगर उन्हे खुद पर भरोसा न था तभी तो शिशे को उन्होने बहरूपिया कह दिया😓 ©Vishal Singh #bahrupiya