कलाई पर बंधी ये राखी आज भी, याद आती है, वो मेरी राखी जो मै हर साल तेरे कलाई मे बाँधा करती थी उस रेशम के धागे मे अपना प्यार बसाया करती थी मिठाई तो बस शौक से खिलाया करती थी मिठास तो तुम्हारे उसी शब्द मे थी जब तुम बोलते थे की बांध दो जल्दी से भूख लगी है और प्यार से कलाई आगे न करने पे जबरदस्ती खिच के बाँधा करती थी आज वो फिर दिन आ गया है दिल मे बड़े अरमाँ है की तुं वैसे ही कलाई खिच के बंधु पर क्या करु विवस है हम दुरिया ला दिया वक़्त ने वरना मेरे हाथ से बंधी राखी तुम्हारी कलाई पे सजती #rakshabandhan