कल्पना और यथार्थ के बीच एक बुलबुला सा बनता है कुछ अकथ बातों का सिलसिला सा बनता है लय-ताल में बंधता कभी मौन और मुखर के बीच हिंडोले में झूलता कभी गुज़रे पलों को ढूँढता कभी हिचकियों पर मंद मंद मुस्कुराता कभी कभी नाम लिखता,मिटाता कभी बुलबुले सा ख्यालों में आता जाता कभी कल्पना और यथार्थ के बीच रोज़ बुलबुला यूँ ही उड़ता कभी,मचलता कभी बिन बरसात सा यूँ ही बरसता कभी.... #बुलबुला #कल्पना #यथार्थ #yqdidi