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मैं तुझमे ही रहता रहा पल-दर पल, महीनों का सफ़र मैं

मैं तुझमे ही रहता रहा
पल-दर पल,
महीनों का सफ़र
मैं तुझमे रोज-रोज
बढ़ता ही रहा
सुनने को मेरी किलकारियां
न जाने तुमने कितना त्याग किया
व्रत किया,अनुष्ठान किया
दान दिया ,बलिदान दिया
माँ ,बस मेरे लिए
तुमने स्वयं को ही भूला दिया
सो पाऊँ मैं चैन से
बस इसलिए
अपनी कई रात की
नींदों का त्याग किया
अपने लहू से सींच कर
तुमने मेरा जीवन गढ़ा

संजीवनी से दुग्ध तुम्हारे
गंगाजल से भी अधिक पवित्र है
समुद्र मंथन का अमृत भी त्येजय है
ईश्वर भी नहीं अब विशेष है
बस तू ही श्रद्धा की मूरत मेरी
तुम्हारे आगे ही मेरा शीश झुके
मेरे अवशेष में भी तू शेष रहे
मेरे प्रस्थान पर भी तेरी आँखों में तेज रहे
ईश्वर से नहीं
तुमसे माँगता हूँ ''माँ''
तेरे अक्स का अमिट छाप रहे
जहाँ भी रहूँ,जैसा भी रहूँ
तेरे आँचल का साया मुझे मिलता रहे--अभिषेक राजहंस माँ, बस मेरे लिए #NojotoHindi
मैं तुझमे ही रहता रहा
पल-दर पल,
महीनों का सफ़र
मैं तुझमे रोज-रोज
बढ़ता ही रहा
सुनने को मेरी किलकारियां
न जाने तुमने कितना त्याग किया
व्रत किया,अनुष्ठान किया
दान दिया ,बलिदान दिया
माँ ,बस मेरे लिए
तुमने स्वयं को ही भूला दिया
सो पाऊँ मैं चैन से
बस इसलिए
अपनी कई रात की
नींदों का त्याग किया
अपने लहू से सींच कर
तुमने मेरा जीवन गढ़ा

संजीवनी से दुग्ध तुम्हारे
गंगाजल से भी अधिक पवित्र है
समुद्र मंथन का अमृत भी त्येजय है
ईश्वर भी नहीं अब विशेष है
बस तू ही श्रद्धा की मूरत मेरी
तुम्हारे आगे ही मेरा शीश झुके
मेरे अवशेष में भी तू शेष रहे
मेरे प्रस्थान पर भी तेरी आँखों में तेज रहे
ईश्वर से नहीं
तुमसे माँगता हूँ ''माँ''
तेरे अक्स का अमिट छाप रहे
जहाँ भी रहूँ,जैसा भी रहूँ
तेरे आँचल का साया मुझे मिलता रहे--अभिषेक राजहंस माँ, बस मेरे लिए #NojotoHindi