कश्मकश में है मेरा ये नादान दिल तेरी इजहार ए मोहब्बत का क्या जवाब दूँ, करते हैं बेइंतेहा मोहब्बत हम भी तुमसे पर इकरार करूँ या कि मैं इंकार कर दूँ। मेरी आँखों ने तेरी ही चाहत के सपने सजाए हैं फिर भी जाने क्यों डरता है दिल, तेरे प्यार पर भरोसा है हमें खुद से भी ज्यादा पर जमाने को कैसे अनदेखा कर दूँ। दोराहे पर खड़ी है जिंदगी हमारी मोहब्बत नहीं, मोहब्बत के अंजाम से डर लगता है, पर हकीकत में दिल की ख्वाहिश है कि मोहब्बत में अपनी जिंदगी तेरे नाम कर दूँ। 🌟 प्रतिदिन प्रतियोगिता- 01 🌟 शीर्षक - कश्मकश ! 🌟 इस रचना में आपको सिर्फ़ 6 पंक्तियाँ लिखनी हैं, इससे कम या ज़्यादा पंक्तियों में लिखी हुई रचना प्रतियोगिता में मान्य नहीं होगी। 🌟"COLLAB" करने के बाद "COMMENTS" में "DONE" ज़रूर लिखें, जिससे आपकी रचना तक हम आसानी से पहुँच सके!