माना सारा सिस्टम देश का दुश्मन है। मचा है हाहाकार हर तरफ़ क्रंदन है। दिल पे रख कर हाथ तू सच ये बोल ज़रा। क्या तूने खुद अपनी जान की की परवाह? निकला घर से भीड़ बढ़ाने दुनिया की। क्या तूने खुद मुँह और नाक की रक्षा की? सिस्टम की बारी तो बाद में ही आयी। क्या उससे पहले तेरी सुधि जग पाई? उस डॉक्टर में दिखा खुदा का रूप नहीं? जो कहता था अभी कोरोना गया नहीं। जा कर भीड़ में डुबकी किसने मारी थी? किसके सिर पर घूमने की धुन तारी थी? क्या लगता था तुझे कोरोना छोडेगा? या आया तो फूंक मार के मोड़ेगा? एक ने दस दस में कोरोना फैलाया। अब तुझको सिस्टम देश का याद आया। हर तरफ़ उघाड़े नाक मुँह को लोग खड़े। कब्रिस्तानों में मुँह ढके मृतक पड़े। सब इक दूजे पे दोष मढ़ते जाओ। बिना मास्क घूमो बाद में चिल्लाओ। खुद तेरे सिस्टम से जो ना रुक पाया। मंत्री जंत्री कौन किसी के काम आया? मुँह ढक ले या कफ़न से मुँह ढंकवाएगा? बचा नाक या देश की भी कटवाएगा? अब भी चेत जा गर जो जान ये प्यारी है। देश बचाने की अब तेरी बारी है। अंजलि राज #अंजलिउवाच #YQdidi #कोरोना #मास्क #सिस्टम #रोष #बुरा-न-मानना