मोहब्बत ज़िन्दा हमीं से है दोस्ती का परिंदा यकीं से है ये हुस्न का गुरूर ठीक नहीं, क्या जन्नत अब तुम्हीं से है? पतंग और बारिश का किस्सा, हमारी असल ज़िन्दगी से हैं! मयकदों की ये सारी रौनक, यारो मुसलसल शाकी से है! मुहब्बत जो आज है रंगीं, सिर्फ वफ़ा की सादगी से है! उसके इन आंसुओ का ताल्लुक सिर्फ मिरी नाराज़गी से है! कविराज अनुराग #gazal #urdupoetry #kavirajanurag #apart